निर्जला एकादशी 2025: बुध-गुरु की युति के साथ बन रहे दुर्लभ संयोग, इन 5 राशियों पर बरसेगी भगवान विष्णु की कृपा
निर्जला एकादशी हिंदू पंचांग की सबसे पुण्यदायक तिथि मानी जाती है। यह एकादशी व्रतों में सबसे कठिन भी है क्योंकि इसमें बिना जल के उपवास किया जाता है। 2025 की निर्जला एकादशी विशेष इसलिए बन गई है क्योंकि इस दिन बुध और गुरु की युति के साथ कई दुर्लभ योग बन रहे हैं।
इस बार का दुर्लभ संयोग
बुध-गुरु की युति का ज्योतिषीय महत्व
इस बार 6 जून 2025 को निर्जला एकादशी के दिन बुध और गुरु मिथुन राशि में एक साथ स्थित रहेंगे। यह युति ज्ञान, वाणी, शिक्षा, भाग्य और शुभ फलदायिता को दर्शाती है।
अन्य ग्रहों की स्थिति
- सूर्य: वृषभ में
- चंद्रमा: मकर में
- शनि: अपनी ही राशि कुंभ में वक्री
चंद्रमा और नक्षत्र का प्रभाव
चंद्रमा श्रवण नक्षत्र में रहकर भावनाओं को स्थिर बनाएगा और आध्यात्मिक ऊर्जा को बढ़ाएगा।
धार्मिक महत्व और परंपरा
निर्जला एकादशी का धार्मिक इतिहास
पौराणिक कथा के अनुसार, भीमसेन को एकादशी व्रत का पालन करना कठिन लगता था, तब महर्षि व्यास ने उन्हें निर्जला एकादशी का व्रत करने का परामर्श दिया। यही एकादशी सभी एकादशियों का फल देने वाली मानी जाती है।
व्रत विधि और नियम
- सूर्योदय से पूर्व स्नान कर व्रत का संकल्प लें।
- पूरे दिन जल भी ग्रहण न करें।
- रात को जागरण और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
ज्योतिष और राशियों पर प्रभाव
ग्रहों की चाल और उसका असर
इस बार ग्रहों की स्थिति कई राशियों के लिए बेहद शुभ साबित होगी। विशेषकर बुध-गुरु की युति से शिक्षा, बुद्धि, व्यवसाय और संतान से जुड़े मामलों में विशेष लाभ मिल सकता है।
शुभ और अशुभ संकेत
- सूर्य का वृषभ में होना स्थिरता लाएगा।
- शनि का वक्री होना पुरानी समस्याओं को उजागर करेगा।
इन 5 राशियों पर विष्णु की विशेष कृपा
मेष राशि
धन लाभ, नए अवसर और संतान सुख के योग बनेंगे।
वृषभ राशि
घर में सुख-शांति, विवाह योग और नई योजनाओं में सफलता मिलेगी।
कन्या राशि
विदेश यात्रा, करियर में उन्नति और नौकरी में प्रमोशन संभव।
तुला राशि
रुके हुए कार्य पूरे होंगे, कानूनी मामलों में सफलता।
मीन राशि
धार्मिक यात्रा, परिवार में खुशियाँ, नए स्रोतों से आमदनी।
किन राशियों को सतर्क रहना होगा
- वृश्चिक: गुप्त शत्रु सक्रिय रह सकते हैं।
- कर्क: मानसिक तनाव और स्वास्थ्य से जुड़ी चिंता।
- कुंभ: अनावश्यक खर्च और बहस से बचें।
क्या करें और क्या न करें इस दिन
करें:
- व्रत रखें
- दान-पुण्य करें
- विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें
न करें:
- क्रोध न करें
- अनावश्यक बहस न करें
- झूठ बोलने से बचें
उपाय और टोटके
- तुलसी के पत्तों के साथ जल चढ़ाएं
- 11 दीपक जलाकर विष्णु जी के समक्ष रखें
- पीले वस्त्रों का दान करें
पूजा विधि
- कलश स्थापना करें
- विष्णु जी को पीला वस्त्र अर्पित करें
- पंचामृत से अभिषेक करें
- "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" मंत्र का जाप करें
निर्जला एकादशी और जलदान
इस दिन जलदान करने से गर्मी में जरूरतमंदों को राहत मिलती है और पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
आध्यात्मिक लाभ
यह व्रत आत्मशुद्धि और मोक्ष की ओर ले जाता है। यह भक्ति, तप और संयम का प्रतीक है।
व्रत के वैज्ञानिक कारण
जल न पीना और उपवास रखना शरीर को डिटॉक्स करता है। इससे पाचन तंत्र को आराम मिलता है।
जनमानस पर प्रभाव
गांवों में विशेष भजन-कीर्तन और मंदिरों में आयोजन होते हैं। शहरों में लोग सामूहिक रूप से पूजन करते हैं।
निष्कर्ष
इस वर्ष की निर्जला एकादशी अत्यंत विशेष है। बुध और गुरु की युति और अन्य ग्रहों की स्थिति इसे और भी अधिक शुभ बनाती है। जिन राशियों पर भगवान विष्णु की विशेष कृपा है, उन्हें इस अवसर का पूर्ण लाभ उठाना चाहिए।
❓FAQs: अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
Q1. निर्जला एकादशी 2025 में कब है?
6 जून 2025, शुक्रवार को है।
Q2. क्या निर्जला एकादशी पर जल पी सकते हैं?
नहीं, इस दिन जल का त्याग कर उपवास करना चाहिए, इसी से इसका नाम ‘निर्जला’ पड़ा है।
Q3. व्रत रखने के लिए कौन-से मंत्र का जाप करें?
"ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" का जाप अत्यंत फलदायक माना गया है।
Q4. क्या इस दिन अन्न दान करना शुभ होता है?
हाँ, इस दिन अन्न, जल और वस्त्र का दान अत्यंत पुण्यकारी होता है।
Q5. कौन-सी राशियाँ इस दिन विशेष लाभ में रहेंगी?
मेष, वृषभ, कन्या, तुला और मीन राशि वालों के लिए यह दिन अत्यंत शुभ है।
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