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पृथ्वी से फिर टकराया खतरनाक सौर तूफान, इस इलाके में हुआ ब्लैकआउट! आने वाली है बड़ी मुसीबत?




नई दिल्ली. कोरोनल मास इजेक्शन (Coronal Mass Discharge) के बादल के टकराने के बाद आज पृथ्वी के मैग्नेटोस्फीयर से सीएमई (CME) के कणों द्वारा संचालित एक सौर तूफान (Sun powered Tempest) टकराया.


हालांकि अगर सैटेलाइट कुछ हरकत नहीं करती तो इस सौर तूफान (Sun oriented Tempest) की जानकारी नहीं मिल पाती. सीएमई द्वारा संचालित सौर तूफान ने पृथ्वी के दक्षिणी गोलार्ध (Southern Half of the globe) पर अटैक किया, जिससे एक ऑरोरा (Aurora) बना. बता दें कि सूर्य 11 साल के चक्र से गुजर रहा है. इसके चलते वह बहुत ज्यादा एक्टिव फेज में है. सूर्य में हो रही हलचलों की वजह से पृथ्वी को सोलर फेयर, कोरोनल मास इजेक्शन (CME) जैसी घटनाओं का हाल के दिनों में सामना करना पड़ रहा है.


बता दें कि इस हफ्ते की शुरुआत में कई मध्यम सौर ज्वालाओं के चलते कोरोनल मास इजेक्शन का एक बादल सूर्य की सतह से छोड़ा गया था, जो कि पृथ्वी की ओर बढ़ रहा था. इस बादल के टकराने से आशंका जताई जा रही है कि आस-पास के क्षेत्र शॉर्टवेव रेडियो ब्लैकआउट से प्रभावित हो सकते हैं. इस घटना की सूचना SpaceWeather द्वारा दी गई थी.


IMF में बदलाव के चलते सौर तूफान की हुई आशंका


SpaceWeather की वेबसाइट पर लिखा था, 'उम्मीद से पहले पहुंचे, एक सीएमई ने 17 जनवरी को पृथ्वी के मैगनेटिक फील्ड पर प्रहार किया. इसके आगमन का संकेत पृथ्वी के पास इंटरप्लेनेटरी मैग्नेटिक फील्ड (IMF) में अचानक बदलाव से मिला था.' वेबसाइट में इसका भी जिक्र किया गया है कि सौर तूफान 19 जनवरी के शुरुआती घंटों में आया था और तब से यह कमजोर हो गया है.


सीएमई का एक बादल पृथ्वी से टकराया


इस विशेष सौर तूफान की भविष्यवाणी पहले राष्ट्रीय महासागरीय और वायुमंडलीय प्रशासन (एनओएए) द्वारा की गई थी. लेकिन सीएमई बादल का एक हिस्सा सौर हवाओं द्वारा आगे चला गया और बीते 18 जनवरी को मैग्नेटोस्फीयर को प्रभावित किया. इसके बाद विशेषज्ञों को यकीन नहीं था कि बाकी बादल पृथ्वी की तरफ बढ़ेंगे और टकराएंगे.


ऑरोरा दिखने से पहले सौर तूफान की हुई थी भविष्यवाणी


हालांकि, सौर तूफान की भविष्यवाणी आर्कटिक सर्किलों में ऑरोरा डिस्प्ले देखे जाने से कुछ घंटे पहले की गई थी. रिपोर्टों से पता चलता है कि यह एक मामूली सौर तूफान था. लेकिन आसपास के इलाकों में शॉर्टवेव रेडियो ब्लैकआउट से प्रभावित होने की आशंका है. इस तरह के रेडियो वेव का इस्तेमाल आमतौर पर एयरलाइनों, जहाजों, हैम रेडियो ऑपरेटरों और ड्रोन पायलटों द्वारा किया जाता है. लेकिन अभी तक, उनके बाधित होने की कोई रिपोर्ट नहीं है.

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